कोरोना के वायरस को नाक में ही रोक देगा ये इन्‍हेलर

कोरोना के वायरस को नाक में ही रोक देगा ये इन्‍हेलर

सेहतराग टीम

कोरोना वायरस यानी कोविड 19 ने पूरी दुनिया के नाक में दम कर रखा है। पिछले छह महीने से पूरी दुनिया इससे जूझ रही है और तकरीबन हर देश के वैज्ञानिक किसी भी तरह इसका इलाज तलाशने में जुटे हुए हैं। सालों के बाद पहली बार दुनिया किसी ऐसी चुनौती का सामना कर रही है जिसने सिर्फ 8 महीने में दुनिया में करीब 8 लाख लोगों को अपना शिकार बना लिया है और और अब भी एक करोंड से अधिक लोग इस वायरस की चपेट में हैं। मगर इस बीमारी से निबटने की दिशा में धीरे धीरे अच्‍छी खबरें भी सामने आ रही हैं। सबसे पहले तो ब्रिटेन और अमेरिका से दो वैक्‍सीन के क्लिनिकल ट्रायल के आखिरी चरण में पहुंचने की खबर आई। इसके बाद खुद भारत में दो कंपनियों द्वारा वैक्‍सीन के पहले और दूसरे चरण के ट्रायल की खबर मिली। इस बीच रूस की सरकार ने एक वैक्‍सीन को जनता के इस्‍तेमाल के लिए मंजूरी देकर पूरी दुनिया को चकित कर दिया मगर जब इस वैक्‍सीन के क्लिनिकल ट्रायल से जुड़े सबूत मांगे गए तो मामला अटक गया। इसलिए दुनिया के कई देशों ने इस वैक्‍सीन को गंभीरता से नहीं लिया क्‍योंकि इसके ट्रायल से जुड़े सबूत अबतक सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।

अब कोरोना से मुकाबले की दिशा में एक उम्‍मीद बढ़ाने वाली खबर अमेरिका से सामने आ रही है। अमेरिकी वैज्ञानिकों का दावा है कि उन्होने नैनोबॉडीज युक्त एक ऐसा ऐंटि कोरोना स्प्रे तैयार किया है, जिसे इनहेलर की तरह उपयोग किया जा सकेगा। वैज्ञानिकों का दावा है कि ये स्‍प्रे कोरोना के संक्रमण फैलाने वाले वायरस को नाक से आगे नहीं बढ़ने देगा। इस स्‍प्रे को इस तरह से तैयार किया गया है कि ये कोरोना के वायरस के ऊपर एक परत बना कर कोरोना के प्रोटीन वाले स्‍पाइक्‍स को ढंक लेगा। ऐसा होने पर वायरस नाक से आगे बढ़कर गले तक नहीं पहुंच पाएगा। इस इन्‍हेलर को तैयार करने में जीएम यानी जीन तकनीक का इस्‍तेमाल भी  किया गया है।
कोरोना वायरस को प्रोटीन के जरिए ब्लॉक करनेवाले इस नेजल स्प्रे का निर्माण कैलिफोर्निया यूनवर्सिटी में किया गया है। शोधकर्ता टीम का कहना है कि इस इनहेलर को तैयार करने में कोरोना ऐंटिबॉडीज का उपयोग किया गया है।

सबसे पहले ऐंटिबॉडीज से नैनोबॉडीज का निर्माण किया गया। लैब में नैनोबॉडीज को विकसित करते समय इन्हें जेनेटिकली मॉडिफाई (जीएम) किया गया है ताकि ये खासतौर पर कोरोना वायरस को रोकने का काम करें। इनका प्रभाव मुख्य रूप से कोरोना वायरस की बाहरी परत पर होता है, जो प्रोटीन से निर्मित है।  शोधकर्ता टीम की तरफ से कहा गया है कि इस इनहेलर को बनाने में जिन नैनोबॉडीज का उपयोग किया गया है, वे लामा और ऊंट जैसे जानवरों में पाई जानेवाली ऐंटिबॉडीज से विकसित की गई हैं। ये शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कई गुना बढ़ाने का काम करती हैं।

हालांकि अभी ये इन्‍हेलर आम जनता के इस्‍तेमाल में नहीं आ सकती क्‍योंकि इसका क्लिनिकल ट्रायल नहीं हुआ है। दवा निर्माण की दिशा में क्लिनिकल ट्रायल महत्‍वपूर्ण पड़ाव है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस नेजल स्प्रे के बड़े स्तर पर ह्यूमन ट्रायल की तैयारी कर रही है। यदि यह ह्यूमन ट्रायल सौ फीसदी सफल रहता है तो कोरोना वायरस के कारण फैली महामारी को रोकने में यह नेजल स्प्रे एक आसान और प्रभावी तरीका साबित होगा।

इसे भी पढ़ें : कोरोना नियंत्रण के लिए वाहवाही लूट चुकीं केरल की मंत्री का चौंकाने वाला बयान

कोरोना वायरस पर आया नया चौंकाने वाला शोध

 

Disclaimer: sehatraag.com पर दी गई हर जानकारी सिर्फ पाठकों के ज्ञानवर्धन के लिए है। किसी भी बीमारी या स्वास्थ्य संबंधी समस्या के इलाज के लिए कृपया अपने डॉक्टर की सलाह पर ही भरोसा करें। sehatraag.com पर प्रकाशित किसी आलेख के अाधार पर अपना इलाज खुद करने पर किसी भी नुकसान की जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति की ही होगी।